आज एक अजीब सी घबराहट है,
थोड़ी सी बेचेनी है,
शायद अकेलेपन का रुतबा है,
या अंधेरे की बाहों में,
पहचान मेरी सहमी है।
कुछ पेचीदा से हैं यह लम्हे,
लबों पे शब्द ठहरे हैं,
जो उनको कुछ कह न सकें,
तो बेजुबान पन्नो को बेदर्द रंग दिया,
आज मुझमे इतनी बेरहमी है।
(Inbox me for translation ☺)